यूँ रूठ के जाने पे मैं ख़ामोश हूँ लेकिन By Sher << शाख़ से गिर कर हवा के साथ... हुस्न ऐसा था कि हर इक आइन... >> यूँ रूठ के जाने पे मैं ख़ामोश हूँ लेकिन ये बात मिरे दिल को गवारा तो नहीं है Share on: