ये छाँव छाँव न रोओ 'ज़हीर' दिल को सँभालो By छाँव, Sher << फ़ोन तो दूर वहाँ ख़त भी न... दश्त की ना-तमाम राहों पर >> ये छाँव छाँव न रोओ 'ज़हीर' दिल को सँभालो ढली है शाम मगर यूँ कोई दिवाना हुआ है Share on: