ख़ुशी जीने की क्या मरने का ग़म क्या By Unpublished Sher << मस्जिद के ज़ेर-ए-साया इक ... जिस दिन से कि हम ग़म-ज़दा... >> ख़ुशी जीने की क्या मरने का ग़म क्या हमारी ज़िंदगी क्या और हम क्या Share on: