मैं क़ाइल-ए-ख़ुदा-ओ-नबी-ओ-इमाम हूँ Admin इमाम हुसैन की शायरी, Unpublished Sher << मज़ा तो जब है कि ऐ आह-ए-न... मय-कशी को न समझ बे-हासिल >> मैं क़ाइल-ए-ख़ुदा-ओ-नबी-ओ-इमाम हूँ बंदा ख़ुदा का और अली का ग़ुलाम हूँ Share on: