अब चल पड़ा हूँ आखिरी अपने सफ़र को मैं अन्य << लफ़्ज़ का बस है तअ'ल्लुक़... कब खुलेगा कि फलक पार से आ... >> अब चल पड़ा हूँ आखिरी अपने सफ़र को मैंअच्छा है सीधा कर लूँ जो अपनी कमर को मैं! Share on: