चिराग घर का हो महफ़िल का हो कि मंदिर का अन्य << मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम ... हम तोहफ़े में घड़ियाँ तो ... >> चिराग घर का हो महफ़िल का हो कि मंदिर काहवा के पास कोई मस्लहत नहीं होती!*मस्लहत: भला बुरा देख कर काम करना Share on: