दौर काग़जी था पर देर तक ख़तों में जज़्बात महफ़ूज़ रहते थे अन्य << ये ज़मीं आसमान रहने दे रफ़्ता रफ़्ता चीख़ना आराम... >> दौर काग़जी था पर देर तक ख़तों में जज़्बात महफ़ूज़ रहते थेअब मशीनी दौर है उम्र भर की यादें ऊँगली से ही डिलीट हो जाती हैं। Share on: