एक हसरत थी की कभी वो भी हमे मनाये Admin नाय साल की शायरी 2016, अन्य << जिन्हे याद कर के मुस्कुरा... हालात ने तोड़ दिया दीपक को... >> एक हसरत थी की कभी वो भी हमे मनाये..पर ये कम्ब्खत दिल कभी उनसे रूठा ही नही । Share on: