जिनकी झलक मे करार बहुत है Admin हाथो की लकीर शायरी, अन्य << हमारे तो दामन मे काँटो के... दिल चाहता है ज़माने से छु... >> जिनकी झलक मे करार बहुत है..उसका मिलना दुशवार बहुत है..जो मेरे हांथों की लकीरों मे नहीं..उस से हमें प्यार बहुत है. Share on: