मेरा मज़हब तो Admin मज़हब शायरी, अन्य << कोई हुनर कदर कर लाे उनकी जाे बिना ... >> मेरा मज़हब तो , ये दो हथेलिया बताती है ,जुड़े तो "पूजा ", खुले तो "दुआ " कहलाती है....... Share on: