रहिये अब ऐसी जगह चलकर Admin मान जाओ शायरी, अन्य << तुमने चाहा है मुझे ये करम... सितम की रस्में बहुत थीं ल... >> रहिये अब ऐसी जगह चलकर, जहाँ कोई न होहम सुख़न कोई न हो और हम ज़ुबाँ कोई न होबेदर-ओ-दीवार सा इक घर बनाना चाहिएकोई हमसाया न हो और पासबाँ कोई न होपड़िए गर बीमार, तो कोई न हो तीमारदारऔर अगर मर जाइए, तो नौहाख़्वाँ कोई न हो। Share on: