शरीर के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़र अन्य << ये जो तुम ने खुद को बदला ... हम भी दरिया हैं हमें >> शरीर के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़रसिर पर है कितना बोझ, कोई देखता नहीं। Share on: