तारीखों में कुछ ऐसे भी मंजर हमने देखे है Admin मंजर भोपाली शायरी, अन्य << हथेली पे उसका नाम तो लिख ... इंसान को इंसान धोखा नहीं ... >> तारीखों में कुछ ऐसे भी मंजर हमने देखे है,कि लम्हों ने खता की थी, और सदियों ने सजा पाई। Share on: