तुमसे मिलकर जाने किस गुमान में हूँ मैं… Admin आत्मसम्मान शायरी, अन्य << ताज़ी है अब भी उस मुलाकात ... दिल ही दिल में तुम्हें प्... >> तुमसे मिलकर जाने किस गुमान में हूँ मैं…देखो भूल गया सब पते-ठिकाने… आसमान में हूँ मैं…! Share on: