बहुत सुन्दर शब्द जो एक गुरुद्वारे के दरवाज़े पर लिखे थे :
सेवा करनी है तो, घड़ी मत देखो !
लंगर छ्कना है तो, स्वाद मत देखो !
सत्संग सुनाना है तो, जगह मत देखो !
बिनती करनी है तो, स्वार्थ मत देखो !
समर्पण करना है तो, खर्चा मत देखो !
रहमत देखनी है तो, जरूरत मत देखो !!