एक आरज़ू है पूरी परवरदिगार करे,मैं देर से जाओं वो मेरा इंतज़ार करे,अपने हाथों से संवारूं जुल्फें उसकी,वो शर्मा कर मोहब्बत का इकरार करे.लिपट जाये मुझसे आलम-इ-मदहोशी में,और जोश-ओ-जनून में मोहब्बत का इज़हार करे.हो शब्-इ-विसाल ऐसी या रब,के भीगी जुल्फों से मुझे बेदार करे,जब उसे छोड़ के जाना चाहूँ “वसी”,वो रोके और इक रात का इसरार करे,क़सम खुदा की मैं किसी और की हो नहीं सकती,ये वादा-इ-वफ़ा वो बार-बार करे।