जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते हैं Admin झूठ की शायरी, इंतज़ार << "हर शाम से तेरा इज़हार कि... कोई वादा नहीं फिर भी तेरा... >> जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते हैं,वो आये न आये हम इंतज़ार करते हैं,झूठा ही सही मेरे यार का वादा है,हम सच मान कर ऐतबार करते हैं Share on: