गिरके ना ये फिर संभल जाए उल्फत में जान निकल जाए रूह का दीपक तो जला ये जिस्म Admin समंदर शायरी हिंदी, इश्क << मेरी जिंदगी अब तेरी गली म... कौन होता है दुश्मन से बुर... >> गिरके ना ये फिर संभल जाएउल्फत में जान निकल जाएरूह का दीपक तो जलाये जिस्म चाहे पिघल जाएमर्जी हो तेरी तो आ जाओमेरा आशियां ये बदल जाएकश्ती समंदर में कैसे रूकेकिनारे से जो फिसल जाए Share on: