गुजरता हुआ हर लम्हा कुछ कहता ही रहामैं बस बहता ही रहा, मैं बस बहता ही रहाइतने सितम ढाए वक्त ने की सँभल ही न पाएमैं बस सहता ही रहा, मैं बस सहता ही रहाखोल दो पंख मेरे, पंछी उड़ना कैसे भूल जायेजब हर धड़कन में तुम हो, कैसे ना हर पल याद आएगुलशन तुम्हारा खुशबुओं से महकता ही रहामैं बस दहकता ही रहा, मैं बस दहकता ही रहा