जागने की भी Admin शायर और उनकी शायरी, इश्क << अब तो है इश्क़-ए-बुताँ मे... हर धड़कते पत्थर को >> जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाएकाश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाएदूर हम कितने दिन से हैं, ये कभी गौर कियाफिर न कहना जो अमानत में खयानत हो जाए। Share on: