लफ़्ज जो तेरे सुबह की चाय से भी है मीठे डर है इनकी भी आदत कही Admin सुहानी सुबह शायरी, इश्क << किनारे आज कश्ती लग रही है... तन्हाई किसी का इंतज़ार नही... >> लफ़्ज जो तेरे सुबह की चाय से भी है मीठेडर है इनकी भी आदत कही ना लग जाए हमें!".... Share on: