मंज़र भी बेनूर थे और फ़िज़ाएं भी बेरंग थी Admin सुहानी शायरी, इश्क << ऐ चाँद चमकना छोड़ दे काश तुम भी तुम्हारी यादो ... >> मंज़र भी बेनूर थे और फ़िज़ाएं भी बेरंगथी..बस तुम याद आये और मौसम सुहानाहो गया.. Share on: