मिट्टी की बनी हूँ महक उठूंगी Admin बेइंतहा शायरी, इश्क << हैं परेशानियाँ यूँ तो बहु... हक़ीक़त हो तुम कैसे तुझे सप... >> मिट्टी की बनी हूँ महक उठूंगीबस तू इक बार बेइन्तहा 'बरस' के तो देख! Share on: