न ग़रज़ किसी से Admin इश्क << कोई पत्थर की मूरत है इन होठों को परदे में छुपा... >> न ग़रज़ किसी से, न वास्ता, मुझे काम अपने ही काम सेतिरे ज़िक्र से, तिरी फ़िक्र से, तिरी याद से तिरे नाम! Share on: