☀" मेरी दुल्हन "☀वो दुल्हन के रुप मेँ खडी थी,पर वो किसी और के लिये सजी थी,,••आज भी उसका रुप वो ही सुहाना था,जिसे मैँ देखता था और दीवाना था,,••उसेँ पानेँ की जुसतुजु थी,पर पा ना सका,,पर उसे कहाँ मेरी जिन्दगी मेँ आना था,,••आखोँ मेँ अक्शं लिये देखता रह गया,मेरी आखोँ से अक्शुँ का तुफान बह गया,,••वो दुल्हन के रुप मेँ खडी थी,मेरे लिये नही किसी और के लिये सजी थी,,••दिल मेँ जो धक-धक हो रही थी,मेरे दिल की धडकन भी रो रही थी,,••पुछौ ना मुझेँ क्या बिती मुझ पर,क्या सह रहा था..??••वो दुल्हन के रुप मेँ खडी थी,पर वो किसी और के लिये सजी थी...!