"किसी के वादे पर जिंदगी तबाह कर बैठे Admin जिंदगी उर्दू शायरी, इश्क << पहले बात अलग थी वो बस हमे... आधा ही खिला है चाँद पर अभ... >> "किसी के वादे पर जिंदगी तबाह कर बैठे,दिवानगी मैं कैसा गुनाह कर बैठे,एक चांद कि आरजु के लियेसारे तारों कि मोहब्बत को फनाह कर बैठे...! Share on: