तेरी बांहों के दायरे से दूर मुझे जाना नहीं हैरस्ते तो बहुत हैं ,मगर ठिकाना नहीं हैतेरे हाथों से ज़हर भी पी लूँगा मैं साकीमरने से डर जाऊं ,कोई बहाना नहीं हैतेरे बराबर में रखदे दुनिया ,खज़ाना या ताज कोईतेरे सिवा किसी चीज़ पर हक़ जताना नहीं हैकोई निठल्ला बैठा जो कागज़ों पे बिखेर देतकदीर है तू मेरी ,कोई फ़साना नहीं हैशौक़ीन होता तो पी भी लेता साकीतेरी आँखों सा कोई मयखाना नहीं हैबहुत देखे हैं लोग मौहब्बत का दम भरने वालेमगर तुझसा कोई दिलबर ,मुझसा दीवाना नहीं है