इस कदर हमारी चाहत का इम्तिहान मत लीजिये क्षमा << रूठना मत कभी हमें मनाना न... दिल के ज़ख्मों को उनसे छुप... >> इस कदर हमारी चाहत का इम्तिहान मत लीजियेक्यों हो खफा ये बयां तो कीजियेकर दीजिये माफ़ अगर हो गयी है कोई खतायूँ याद न आकर सज़ा तो न दीजिये। Share on: