ना कभी मुस्कुराहट तेरे होंठों से दूर हो क्षमा << ये सोच कर हमारी खता को मा... तुम हँसते हो मुझे हसाने क... >> ना कभी मुस्कुराहट तेरे होंठों से दूर होतेरी हर ख्वाहिश हक़ीकत को मंज़ूर होहो जाए जो तू मुझसे खफाखुदा ना करे मुझसे कभी ऐसा कसूर हो। Share on: