कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता Admin रातों की शायरी, गिला शिकवा << सौ बार चमन महका सौ बार बह... फासला भी जरूरी है >> कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होतातुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा होता! Share on: