लौटा जो सज़ा काट के Admin आज़ाद परिंदे शायरी, गिला शिकवा << प्यार करना हर किसी के बस ... बड़ी अजीब सी है शहरों की ... >> लौटा जो सज़ा काट के, वो बिना ज़ुर्म कीघर आ के उसने, सारे परिंदे रिहा कर दिए! Share on: