कोई खुशियों की चाह में रोया Admin भरोसा तोडना शायरी, ज़िन्दगी << वक़्त बदल जाता है इंसान बद... छोटी सी है जिंदगी हँस के ... >> कोई खुशियों की चाह में रोयाकोई दुखों की पनाह में रोयाअजीब सिलसिला है ये ज़िंदगी काकोई भरोसे के लिए रोया, कोई भरोसा करके रोया। Share on: