अजीब तरह से सोचा था जिंदगी के लिए Admin शायरी जिंदगी पर, जिंदगी << कोई खुशियों की चाह में रो... मत कर तलाश मंजिलों की >> अजीब तरह से सोचा था जिंदगी के लिएजीना मरना था उसी के लिएवो मुझे तन्हा छोड़ गई तो यकीन आयाकोई नहीं मरता किसी के लिए। Share on: