ऐ दोस्त कभी ज़िक्र-ए-जुदाई न करना जुदाई << हो जुदाई का सबब कुछ भी मग... आज कुछ कमी सी है तेरे बगै... >> ऐ दोस्त कभी ज़िक्र-ए-जुदाई न करनामेरे भरोसे को रुस्वा न करनादिल में तेरे कोई और बस जाये तो बता देनामेरे दिल में रह कर बेवफाई न करना। Share on: