जी भर- कर के रोते है जब करार मिलता है Admin जख्म की शायरी, जुदाई << जाते जाते तुमने बस एक बार... वफ़ा का दरिया कभी रुकता न... >> जी भर- कर के रोते है जब करार मिलता है.....इस जहाँ मे भी कहाँ सबको प्यार मिलता है.....जिन्दगी~ गुजर जाती है इम्तिहानो के दौर से.....एक जख्म भरता है तो दुसरा तैयार मिलता है..... Share on: