कैसी अजीब तुझसे यह जुदाई थी जुदाई << भूल जाने का हौसला ना हुआ हर सफर की मंजिल हो ये जरू... >> कैसी अजीब तुझसे यह जुदाई थी,कि तुझे अलविदा भी ना कह सकातेरी सादगी में इतना फरेब था,कि तुझे बेवफा भी ना कहा सका। Share on: