लम्हे लम्हे में बसी है तुम्हारी यादों की महक ये बात और है कि नज़रों से Admin लम्हे पर शायरी, जुदाई << नींद से क्या शिकवा जो आती... मैं क्या लिखूँ उस शाम को >> लम्हे लम्हे में बसी है तुम्हारी यादों की महकये बात और है कि नज़रों से दूर बसे हो तुम Share on: