अब इन राहों पर दूर तक अकेले यूँही चलना है Admin शुभ सुबह शायरी, दर्द << क्यों तुझको मुझसे मेरे जै... जब भी उनकी गली से गुज़रता... >> अब इन राहों पर दूर तक अकेले यूँही चलना है.....सुबहों को यूँही जलना है, शामों को यूँही ढलना है.......तू है नहीं मगर तेरा अक्स इन आँखों में अब भी हुबहू है...पलकों के इन ख्वाबों को रात की आगोश में अब यूँही पिंघलना है Share on: