अपनो को दूर होते देखा Admin शायरी सपनो की, दर्द << घने दरखत के नीचे सुला के ... मैं भी कभी हँसता खेलता था >> अपनो को दूर होते देखा,सपनो को चूर होते देखा!अरे लोग कहते हे फ़िज़ूल कभी रोते नही,हमने फूलोँ को भी तन्हाइयोँ मे रोते देखा! Share on: