ढ़लते अक्टूबर के साथ ही ख़तायेँ माफ़ कर देना क्या पता ज़ब नवम्बर आये तो Admin खता शायरी इन हिंदी, दर्द << जब जरूरत होती है तो साला ... बहुत अज़ीब होती है ये याद... >> ढ़लते अक्टूबर के साथ ही ख़तायेँ माफ़ कर देना क्या पता ज़ब नवम्बर आये तो हम ना रहेँ. Share on: