हो सकता है तेरे दिल में मेरे खातिर जगह न होहो सकता है इसके पीछे, किसी तरह की वजह न होलो गुनाह कुबूल किया, फिर आशिक कहता है किदुनिया तेरी कचहरी में मेरे इश्क पे जिरह न होरात में शाम का बादल ही चांद का कातिल बनता हैसोचता हूं कि तेरे बिन अब इन रातों की सुबह न होतू है गैर के घर में और मैं हो गया जग से परायाइश्क की दुनिया में किसी का अंजाम मेरी तरह न हो