जिस दिल को सौंपा था मोड़ भी आया उसे छोड़ना शायरी, दर्द << हिज्र के साहिल पे था जो इ... तुझ पे उठ्ठी हैं वो खोई ह... >> जिस दिल को सौंपा था मोड़ भी आया उसेवो चाहता था छोड़ना मैं छोड़ भी आया उसेअब के ताल्लुक ना रखेगा वो कोई मुझसेमैं दोनों हाथों को अब जोड़ भी आया उसे! Share on: