लगता है तुम्हें नज़र में बसा लूँ Admin नजरो पर शायरी, दर्द << जिन्हे होगी ताब गैरों के ... कटती है रातें तुम्हारी या... >> लगता है तुम्हें नज़र में बसा लूँ ,औरों की नजरों से तुम्हें बचा लूँ,कहीं चूरा ना ले तुम्हें मुझसे कोई..आ तुझे मैं अपनी धड़कन में छुपा लूँ. Share on: