मैं ख़ामोशी तेरे मन की Admin मेरी शायरी फेसबुक, दर्द << निकाल दिया उसने हमें हसण्याची इच्छा नसली तरी ह... >> मैं ख़ामोशी तेरे मन की, तू अनकहाअलफ़ाज़ मेरा..मैं एक उलझा लम्हा, तू रूठा हुआहालात मेरा | Share on: