मंजिल पे पहुँच जाने के आसार बहोत है ! दुश्मन के साथ साथ मेरे यार बहोत Admin काबिल शायरी, दर्द << एक साँस भी पुरी नही होती ... कुछ बस्तियां जो उजड़ के फ... >> मंजिल पे पहुँच जाने के आसार बहोत है !दुश्मन के साथ साथ मेरे यार बहोत है !गैरो की क्या बिसात के आते जो मूकाबिल !अपनी सफों में अपने हीं गद्दार बहोत है ! Share on: