मेरे दुश्मन भी Admin वक्त पे शायरी, दर्द << उतना हसीन फिर कोई लम्हा न... दर्द हैं दिल मैं पर इसका ... >> मेरे दुश्मन भी, मेरे मुरीद हैं शायद,वक़्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं ,मेरी गली से गुज़रते हैं छुपा के खंजर,रु-ब-रु होने पर सलाम किया करते हैं ! Share on: