साफ़ नहीं कहती उसकी रजा ही कुछ और है Admin आंखो की तारीफ शायरी, दर्द << प्यार करो पर दोख मत देना ... सोचा था की वो मेरी ज़िन्द... >> साफ़ नहीं कहती उसकी रजा ही कुछ और है,प्यार से लूटती है वो, मजा ही कुछ और है,फर्क नहीं इस पत्थर को किसी भी मार का,उसके आंखों के कोड़ों की सजा ही कुछ और है। Share on: