उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो Admin समंदर पर शायरी, दर्द << तुम तो डर गए एक ही कसम से... मेरी ज़िन्दगी मैं एक ऐसा श... >> उलझी शाम को पाने की ज़िद न करोजो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करोइस समंदर में तूफ़ान बहुत आते हैइसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो. Share on: