उमर लग जाती है एहसासों को अल्फ़ाज़ देने में Admin सनता बनता शायरी, दर्द << उसी का शहर वही खुदा और वह... ज़िंदगी में कभी भd >> उमर लग जाती है एहसासों को अल्फ़ाज़ देने में.....फ़क़त दिल टूटने भर से कोई शायर नहीं बनता| Share on: