उनसे मिलने को जो सोचों अब वो ज़माना नहीं Admin ज़माना शायरी, दर्द << ठोकर ना लगा मुझे पत्थर नह... तू नहीं तो ये नज़ारा भी ब... >> उनसे मिलने को जो सोचों अब वो ज़माना नहीं,घर भी कैसे जाऊं अब तो कोई बहाना नहीं,मुझे याद रखना कहीं तुम भुला न देना,माना के बरसों से तेरी गली में आना-जाना नहीं। Share on: